Sunday, June 17, 2012

पाकिस्तान में नई ताकत का उदय

भ्रष्टाचार पर लचर रुख के लिए पाकिस्तान की आलोचना करने वालों के लिए यह कदम बड़ा झटका सिद्ध हो सकता है जिसमें मुल्क की शक्तिशाली शख्सियतों में एक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी के पुत्र असरलान इफ्तिखार और एक व्यापारी पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। मामले को अंजाम तक पहुंचाने के लिए जब मीडिया और सियासी पार्टियां हार मान चुकी थीं, तब सोशल मीडिया ने काम कर दिखाया और शीर्ष अदालत को भ्रष्टाचार के मामले में आदेश देने पड़े। मुल्क में सोशल मीडिया नई ताकत बनकर उभरा है। अरसलान पर आरोप है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुकदमों में राहत दिलाने के लिए करीब 34 करोड़ रुपए वसूल किए। आरोप लगाने वाले ने एक चैनल को इंटरव्यू दिया था। लेकिन वह असरहीन साबित हुआ। बाद में उसके वीडियो फेसबुक पर लीक हो गए, यू-ट्यूब पर अपलोड कर दिए गए। मामले ने हालांकि मीडिया को भी खूब परेशान किया क्योंकि एक वीडियो ऐसा भी था जिसमें इंटरव्यू लेने वाले पत्रकारों को बाहर से निर्देश मिलते दिखाया गया था। कहा जा रहा था कि आरोप लगाने वाले व्यापारी को बिल्कुल तंग न किया जाए और उनसे केवल वही प्रश्न पूछे जाएं जो वो चाहते हैं। इंटरव्यू काफी विवादास्पद रहा और उसका गुप्त वीडियो सामने आने के बाद पाकिस्तान में पत्रकारिता पर भी गंभीर सवाल उठने लगे। देश में सोशल मीडिया पिछले चार साल में काफी ताक़तवर हुआ है और इसे बहुत ही अच्छे तरीक़े से इस्तेमाल किया गया है। पाकिस्तान जैसे देश में जहां तमाम तरह की समस्याएं हैं और पड़ोसी मुल्क भारत की तरह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अभाव है, सोशल मीडिया आम नागरिकों के पास एक ऐसा हथियार बनकर उभरा है जो जिसके जरिए वह अपने समाज को बेहतर करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके जरिए ऐसी चीज़ों को सामने लाया जा रहा है जो मुख्य मीडिया कभी भी नहीं सामने ला पाया। हालांकि इसे माध्यम की तरह इस्तेमाल करने वाले लोग गलत तरीकों से भी काम कर रहे हैं। वह फर्जी प्रोफाइलें बनाते हैं और अपनी आवाज को पहचान छिपाकर सार्वजनिक कर रहे हैं। आईटी विशेषज्ञों के मुताबिक, अरसलान के मामले में भी तमाम फेक प्रोफाइलें इस्तेमाल की गईं। मामला इतना प्रचारित किया गया कि गूंज विदेशों तक पहुंचने लगी और न्यायालय को भी दखल देना पड़ गया। इसी के पक्ष में एक बात यह भी है कि शीर्ष न्यायालय के आदेश में मीडिया में आई खबरों पर भी कुछ लाइनें लिखी गई हैं। तस्वीर का दूसरा पक्ष भी है जो काफी भयावह है। इसमें प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन सोशल मीडिया का अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। सोशल मीडिया का अध्ययन करने वाली अंतर्राष्ट्रीय कंपनी ‘सोशलबेकर्स’ के मुताबिक़ पिछले छह महीनों के दौरान पाकिस्तान में फेसबुक इस्तेमाल करने वालों की संख्या में 10 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ है। पाकिस्ताम में फेसबुक इस्लेमाल करने वालों की संख्या लगभग 65 लाख है जिसमें 50 प्रतिशत फेसबुस इस्तेमाल करने वाले ऐसे हैं जिनकी उम्र 18 से 24 सालों के बीच में है और 26 प्रतिशत यूज़र्स 25 से 34 साल के हैं। सोशल मीडिया को इस्तेमाल करने वालों की संख्या प्रतिदिन बढ़ोत्तरी की बड़ी वजह यह है कि अब फेसबुक और ट्विटर पर उर्दू स्क्रिप्ट लिख सकते हैं। यह ऐसा मंच है जहाँ आम नागरिकों को पूरा अधिकार है कि वह अपनी बात सब तक पहुंचा सकते हैं। दरअसल, सोशल मीडिया पूरी दुनिया में ताकतवर हुआ है। इसकी ताकत का अंदाजा सही मायने में तब हुआ, जब बहरीन, मिस्र, लीबिया, सीरिया और ट्यूनीशिया जैसे मुल्कों की हुकूमतें इसकी आंधी में या तो जमींदोज हो गईं या फिर उनके वजूद के लिए संकट खड़ा हो गया। ऑक्युपाई वॉलस्ट्रीट आंदोलन ने शक्तिशाली अमेरिका को हिला दिया, तो वहीं हिन्दुस्तान में अन्ना आंदोलन ने मुल्क के हर हिस्से के हजारों लोगों को आंदोलित कर दिया और सरकार को कुछ कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा। सबसे दिलचस्प बात यह है कि अब आम नागरिक भी खबरें ब्रेक करने लगा है, और वह भी बिल्कुल उसी वक्त, जब कोई घटना अंजाम लेती है। खास बात यह है कि अब पारंपरिक मीडिया भी विभिन्न विवादों, मुद्दों और बहसों पर नागरिकों की नब्ज टटोलने के लिए लगातार ऑनलाइन नेटवर्क की मदद ले रहा है। कुदरती आपदा जैसी घटनाओं की रिपोर्टिग के लिए तो मुख्यधारा का मीडिया अब प्राय: सामान्य नागरिकों की आंखों देखी रिपोर्टिग पर निर्भर करता है। हालांकि सोशल मीडिया के इस्तेमाल के जरिये पैदा किए जाने वाले विवादों के साथ किस तरह का ट्रीटमेंट किया जाए, इसके लिए मुख्यधारा का मीडिया वैकल्पिक रास्ता तलाशने में जुट गया है। विकीलीक्स के खुलासे की तरह एक बार जब कोई संवेदनशील सूचना इंटरनेट पर सार्वजनिक हो जाती है, तो मुख्यधारा के मीडिया को भी उसे उठाना पड़ता है, क्योंकि वह लंबे वक्त तक उसे नजरअंदाज नहीं कर सकता। वीडियो लीक होने वाली घटना साबित करती है कि पाकिस्तान में भी मीडिया इसी समस्या से रूबरू हो रहा है। जिन आंदोलनों का उल्लेख मैंने किया है, उन सभी में बड़ी तादाद में नौजवान तबका शामिल हुआ है। उत्साही युवाओं में सोशल मीडिया का इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है। विभिन्न मसलों, जैसे शिक्षा के गिरते स्तर, रोजगार की कमी, स्थानीय प्रशासन की काहिली, सरकारी नीतियों से असहमति और न्याय-व्यवस्था की गंभीर खामियों पर अपनी चिंताएं जाहिर करने के लिए वे सोशल मीडिया वेबसाइटों पर टिप्पणियां कर रहे हैं। इस प्रवृत्ति ने दुनिया भर के अनगिनत नागरिक समूहों को प्रेरित किया है, जो अपने-अपने क्षेत्र में सामाजिक और राजनीतिक एजेंडा तय करने की बात करते हैं। पाकिस्तान जैसे देश में जहां जनता की आवाज इतनी आसानी से उठ नहीं पाती, सोशल मीडिया सकारात्मक संदेश दे रहा है।

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