Friday, November 23, 2012
डिम्पल यादव में संतुलन का गुण
सैनिक परिवार की पृष्ठ भूमि से राजनीतिक परिवेश में आना और विभिन्न जातियों और विचार धाराओं के बीच संतुलन स्थापित करना, एक महिला के लिए कितनी मुश्किल परीक्षा होगी। घरेलू जिम्मेदारियों को निभाते हुए ऐसी राजनीतिक परीक्षा में उतरना जहां विभिन्न जातियों और विचार धाराओं के बीच संतुलन स्थापित करके चलना हो तो यह मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं? डिम्पल यादव को कभी यह एहसास नहीं रहा होगा कि एक दिन उन्हें अपने पितातुल्य ससुर और देश के प्रमुख राजनेता, परिवार के वरिष्ठ सदस्यों की मौजूदगी और भारी जनसमूह के सामने उस लक्ष्य की ओर सफलतापूर्वक चलना होगा जो उनके परिवार की राजनीतिक सफलताओं और मान मर्यादा को आगे बढ़ाता है। डिम्पल यादव से किया जाने वाला यह महत्वपूर्ण सवाल है कि उस रोज उन्हें कैसा लगा जब भारी जन समूह उनके बोलने की प्रतीक्षा कर रहा था। डिम्पल भले ही आज एक असाधारण और खुले विचारों वाले राजनीतिक परिवार से हैं मगर उन्हें बड़ों के सामने पारिवारिक अनुशासन और लोक लिहाज और जन आकांक्षाओं को ध्यान में रखकर चलना, राजनीति के अटपटे और अंतहीन संघर्षों की चुनौती से भरा है और वह अपनी कुशलता से इनका सामना भी कर रही हैं। जिस तरह से उन्होंने शीर्ष राजनीतिक परिवार से सम्बन्ध रखने के बावजूद अपनी पहचान अलग सिद्ध करने की कोशिश की है, उससे लगता है कि अन्य परिवारों की महिला सदस्यों की तरह न होकर वह अपना अलग मुकाम हासिल करेंगी।
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