शौक के रास्ते शरीर तक पहुंच रही तंबाकू जहर बनकर जान ले रही है। तमाम शोध के निष्कर्ष हैं कि कैंसर के बाद दिल की बीमारियों की भी तंबाकू बड़ी वजह है। चिंताजनक यह है कि हार्ट अटैक की बीमारी युवाओं में तेजी से बढ़ रही है। करीब 40 फीसद युवाओं में हार्ट अटैक का कारण तंबाकू पाया गया है। युवा नहीं संभले और धूमपान के प्रति जागरूक नहीं हुए तो आने वाले दिनों में परिणाम और घातक होगा।
पूरे विश्व से किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन पूरी तरह से रोकने या कम करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने और जागरूकता के विचार से विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। दूसरों पर इसकी जटिलताओं के साथ ही तंबाकू इस्तेमाल के नुकसानदायक प्रभाव के संदेश को फैलाने के लिए वैश्विक तौर पर लोगों का ध्यान खींचना इस दिवस का लक्ष्य है। इस अभियान में कई वैश्विक संगठन शामिल होते हैं जैसे राज्य सरकार, सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठन आदि विभिन्न प्रकार के स्थानीय लोक जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करते हैं। भारत में पुराने समय से ही तंबाकू का प्रचलन रहा है। पहले के समय में भी हुक्का-चिलम, बीड़ी, खैनी का नशा किया जाता था, किन्तु आज स्थिति कहीं ज्यादा विस्फोटक हो चुकी है। बीड़ी की जगह सिगरेट ने ले ली है तो हुक्का और चिलम की जगह स्मैक, ड्रग्स ने और खैनी बन गयी है गुटखा। तंबाकू एक धीमा जहर है, जो सेवन करने वाले व्यक्ति को धीरे-धीरे करके मौत के मुँह मे धकेलता रहता है, तब भी लोग बेपरवाह होकर इसका इस्तेमाल किये जा रहे हैं। वैसे तो देश तमाम बीमारियों के कहर से परेशान है, लेकिन इनमें तम्बाकू से होने वाली बीमारियां और नुकसान अपनी जड़ें और गहरी करती जा रही हैं। लोग जाने-अनजाने या शौकिया तौर पर तंबाकू उत्पादों का सेवन करना शुरू करते हैं जो लत में परिवर्तित हो जाता है। 'नशा' एक ऐसी बीमारी है जो हमें और हमारे समाज को, हमारे देश को तेजी से निगलती जा रही है, लेकिन सबसे बड़ा दुःख ये है कि युवा-वर्ग इसकी चपेट में कहीं बड़े स्तर पर आ चुका है। पहले के समय और आज में यह सबसे बड़ा अंतर है, क्योंकि पहले बुजुर्ग लोग सेवन करते थे तो आज छोटे बच्चों को भी धड़ल्ले से सिगरेट, शराब, यहां तक कि शहरों में 'ड्रग्स' सेवन करते पाया गया है। ऐसे में देश के भविष्य को लेकर चिंता होनी ही है। हम सबसे उन्नत मस्तिष्क के जीव हैं। जानते हैं कि तंबाकू खाने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है लेकिन फिर भी इससे बचते नहीं, बल्कि डूबते जाते हैं। तनाव से बचाव जैसे बहाने ढूंढते हैं। तंबाकू सेवन के मामले में इंसन का कुछ ऐसा ही हाल है, कि उसे यदि सीधे तौर से जानवर कह दिया जाए तो बुरा मान लेता है लेकिन यदि उसे जानवरों के राजा यानि शेर कहा जाए तो खुद पर गर्व महसूस करने लगता है। ठीक उसी तरह यदि कोई व्यक्ति नशा का आदी है तो वह लोकलाज के डर से कहीं भी मौका मिलने पर चोरी-छिपे नशा जरूर करता है। नशा करने में खुद पर फक्र महसूस करता है यानी नशा करने में व्यक्ति कहीं न कहीं दिखावटीपन का भी शिकार है।
सबसे पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के एक शोध की चर्चा करते हैं। इसके मुताबिक, 20 से 30 वर्ष की उम्र में भी हार्ट अटैक से पीड़ित मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। अब तक के आंकड़ों में यह बात सामने आई है कि हार्ट अटैक से पीड़ित लोगों में करीब 35 फीसद मरीजों की उम्र 50 साल से कम व 10 फीसद मरीजों की उम्र 30 साल से कम होती है। हार्ट अटैक से पीड़ित ज्यादातर युवा तंबाकू, सिगरेट और गुटखे का सेवन करते थे। यह देखा गया है कि जो युवा तंबाकू के सेवन के चलते हार्ट अटैक से पीड़ित होते हैं, उनके हृदय की धमनियों में ज्यादा ब्लॉकेज नहीं होता. धमनी ठीक होती है, लेकिन तंबाकू के दुष्प्रभाव से किसी जगह पर रक्त का थक्का जमा हो जाता है। कैंसर तो है ही तंबाकू का बड़ा स्रोत। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद कै कै्सर रजिस्ट्री डाटा कार्यक्रम बता ही चुका है कि भारत में कैंसर से प्रतिवर्ष करीब पांच लाख मौतें होती हैं। इनमें 70 फीसदी मरने वाले वो हैं जो तंबाकू के प्रेम में मौत के द्वार तक पहुंच गए। यह तो दो बड़े रोग हैं और कभी-कभी लाइलाज भी लेकिन, तंबाकू इसके अतिरिक्त भी कई बीमारियों का प्रमुख कारण है। तंबाकू से निर्मित उत्पादों के सेवन से न सिर्फ व्यक्तिगत, शारीरिक और बौद्धिक नुकसान हो रहा है बल्कि समाज पर भी इसके दूरगामी आर्थिक दुष्प्रभाव हैं। हालात यह है कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार देश में 15 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में से लगभग 10 करोड़ लोग सिगरेट या बीड़ी का सेवन करते हैं। विश्व में तंबाकू के इस्तेमाल के कारण 70 लाख व्यक्तियों की प्रतिवर्ष मृत्यु हो जाती है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार लाखों लोग तंबाकू की खेती और व्यापार से अपनी आजीविका कमाते हैं।
ऐसे में स्वाभाविक रूप से यह प्रश्न उठता है कि इन विरोधाभासों का हल कैसे संभव है। दरअसल, तंबाकू की समस्या का हल हर स्तर पर इच्छा शक्ति से जुड़ा हुआ है। फिर चाहे यह इच्छा शक्ति तंबाकू से निजात दिलाने की हो या फिर तंबाकू छुड़ाने का प्रयास करने वाले लोगों की, उसके घर वालों की हो अथवा नियम कायदे-कानून और सरकारों की हो। धूम्रपान से नुकसान: धूम्रपान के इस्तेमाल से चार हजार हानिकारक रासायनिक पदार्थ निकलते हैं, जिनमें निकोटीन और टार प्रमुख हैं। विभिन्न शोध-अध्ययनों के अनुसार लगभग 50 रासायनिक पदार्थ कैंसर उत्पन्न करने वाले पाए गए हैं। तंबाकू सेवन और धूम्रपान के परिणामस्वरूप रक्त का संचार प्रभावित हो जाता है, ब्लड प्रेशर की समस्या का जोखिम बढ़ जाता है, सांस फूलने लगती है और नित्य क्रियाओं में अवरोध आने लगता है। धूम्रपान से होने वाली प्रमुख बीमारियां-ब्रॉन्काइटिस, एसिडिटी, टीबी, ब्लड प्रेशर, लकवा, माइग्रेन, सिरदर्द और बालों का जल्दी सफेद होना आदि भी हैं। धूम्रपान बंद करने के कुछ ही घंटों के अंदर फायदे दिखाई देने लगते हैं। आठ घंटों के अंदर कार्बन मोनोऑक्साइड और निकोटिन की मात्रा खून में 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है और खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। 25 घंटे में कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर से पूरी तरह से बाहर हो जाती है और 48 घंटों में निकोटिन शरीर से बाहर निकल जाती है। धूम्रपान बंद करने के एक वर्ष के भीतर दिल की बीमारियां की आशंका 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है। फेफड़े का कैंसर होने की आशंका 10 से 15 वर्षों में 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है। शरीर में रक्त का संचार सुचारु रूप से होने लगता है और देह में ऑक्सीजन की मात्रा अच्छी हो जाती है, ब्रॉन्काइटिस व सांस तंत्र के अन्य रोगों की आशंका भी काफी कम हो जाती है। जरा सोचिये, जीवन आपका है, इसे कैसे जीना है, इसका निर्णय खुद आपको ही करना है। यदि डॉक्टर दवा दे भी देता है तो उसे खाना तो आपको ही है। यदि आप समय से दवा नहीं ले सकते तो कभी भी आप सही नहीं हो सकते। नशा नहीं छोड़ सकते इसलिए यदि आप नशे के लत के शिकार हैं तो खुद निर्णय लें। फिर देखिये, आपका यही निर्णय आपके जीवन को बदलकर रख देगा। तंबाकू के भयावह दुष्परिणाम को देखते हुए हम ये दृढ निश्चय करें कि अपने और अपने प्रियजनों को इससे दूर रखेंगे। ये जिम्मेदारी हमारी है और इसे सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। हां, सरकार भी सिर्फ राजस्व के लालच में और इस तरह के उद्योगपतियों के दबाव से जितनी जल्दी बाहर आ जाए, उतनी जल्दी फायदा देशवासियों को पहुंचना शुरू हो जाएगा, इस बात में संशय नहीं। मार्क ट्वैन ने कहा था कि तंबाकू छोड़ना इस दुनिया का सबसे आसान कार्य है। मैं जानता हूँ क्योंकि मैंने ये हजार बार किया है। आइये आज शपथ लें, कि इस बीमारी से दूर रहेंगे क्योंकि हम तो बचेंगे ही, वो लोग भी खुश होंगे जो हम-में जीवन ढूंढते हैं, हमारे साथ खुश रहते हैं।
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