Tuesday, June 3, 2014
मुंडे की असमय मृत्यु पर सवाल
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता गोपीनाथ मुंडे के निधन की दु:खभरी खबर आई है। महाराष्ट्र की भगवा राजनीति के अहम योद्धा मुंडे की भविष्य में अहम भूमिका की तैयारियां की जा रही थीं। अगले चार महीनों में महाराष्ट्र में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों में वह भाजपा के चुनाव अभियान के प्रमुख खिलाड़ी रहने वाले थे, पार्टी का एक धड़ा तो उनका इस कदर समर्थन कर रहा था कि वह चुनाव बाद सरकार की स्थिति में मुख्यमंत्री बन जाएं। इसकी वजह भी थीं।
महाराष्ट्र की राजनीति में दो ध्रुव हैं, पहला कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी गठबंधन और दूसरा भाजपा-शिवसेना का गठजोड़। यह मुंडे की ही रणनीति थी कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में राज्य की 48 में से 42 सीटें भगवा गठजोड़ के हिस्से में आई हैं। भाजपा ने यहां अपने विरोधियों के साथ ही दोस्तों को भी हतप्रभ किया है, उसकी सीटों की संख्या 23 है जबकि शिवसेना को 18 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। मुंडे ने जो भी प्रयोग किए, वह पूरी तरह सफल रहे और भाजपा का वोट प्रतिशत 23 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर गया। मुंडे अपनी पार्टी के उस कामयाब चुनाव अभियान के सर्वेसर्वा थे, जिसकी बदौलत तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, सुनील तटकरे, पदमसिंह पाटिल और माणिकराव गावित जैसे सूरमा लोकसभा का मुंह नहीं देख पाए। शिंदे को तो उनके गढ़ सोलापुर से मतदाताओं ने बाहर का रास्ता दिखाया, जहां मुंडे ने चार चुनावी सभाओं को संबोधित किया था। चुनाव के अंतिम चरण में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भिवंडी के मुस्लिम बहुल क्षेत्र में भाषण के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को महात्मा गांधी की हत्या का जिम्मेदार बताया था। इसका परिणाम यह निकला कि पहली बार भाजपा भिवंडी में जीत गई। मुंबई की सभी सात सीटों पर कांग्रेस गठबंधन को मुंह की खानी पड़ी। इसी तरह शरद पवार का गढ़ माने जाने वाले पुणे में भी उनकी बेटी सुप्रिया सुले भी जैसे-तैसे अपनी सीट बचा पाईं। मुंडे की मृत्यु में साजिश के सूत्र ढूंढ रहे लोगों का कहना है कि शानदार व्यूहरचना से वह दुश्मनों ही नहीं बल्कि दोस्तों की भी आंखों की किरकिरी बन गए थे। उनकी सक्रियता से परेशान शिवसेना की ओर से यह आधिकारिक वक्तव्य भी सामने आया था कि सीएम का पद शिवसेना के पास रहेगा, जीतने की स्थिति में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे की महत्वाकांक्षाएं भी जन्म ले चुकी हैं, वह भी सीएम पद के दावेदार हैं। राज भी भाजपा के दोस्त हैं। आम चुनावों में उन्होंने भाजपा का सीधा समर्थन किया था और उसके प्रत्याशियों के विरुद्ध अपने उम्मीदवार खड़े नहीं किए थे। मृत्यु की अगर जांच हुई जैसी कि भाजपा की महाराष्ट्र इकाई की ओर से मांग उठी है तो एजेंसी के सामने यह सब सवाल खड़े होंगे। महाराष्ट्र भाजपा के प्रवक्ता अवधूत वाघ ने सवाल उठाया है कि मुंडेजी हमेशा गार्ड्स के साथ हाई सिक्योरिटी व्हीकल में सफर करते थे, फिर वह एक सामान्य कार में कैसे सफर कर रहे थे? उनके कार ड्राइवर का बयान आया है कि दुर्घटना जिस इंडिका कार से हुई, उसने रेड लाइट जंप करके टक्कर मारी। जांच के दौरान पता चला कि इस इंडिका कार का संबंध होटल इम्पीरियल से है जिसका रजिस्ट्रेशन नबंर DL7C E 4549 है। इसका ड्राइवर गुरविंदर सिंह है। इस पर होटल इम्पीरियल ने कहा, ड्राइवर गुरविंदर सिंह और इंडिका कार से कोई लेना-देना नहीं है, ड्राइवर और कार ड्यूटी पर नहीं थे। यह बातें साजिश की बात को दम प्रदान कर रही हैं।मुंडे चूंकि केंद्र में एक अहम दायित्व संभाल रहे थे, इसलिये उनकी मृत्यु पर उठ रहे सवालों का जवाब तो मोदी सरकार को ढूंढना ही होगा।
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