Wednesday, September 18, 2013

नीना के ताज से बेचैन अमेरिकी

यह खुद के प्रगतिवादी और नस्लभेद विरोधी होने की बढ़-चढ़कर बातें करने वाले अमेरिका का दूसरा चेहरा है। भारतीय मूल की सुंदरी नीना दावुलूरी ने 'मिस अमेरिका-2014' खिताब क्या जीता, वहां मानो भूचाल आ गया है। नीना प्रतियोगिता जीतने वाली भारतीय मूल की पहली अमेरिकी महिला हैं। अमेरिकी लोगों ने नीना दावुलूरी के भारतीय मूल के होने के आधार पर नस्ली भेदभाव से प्रेरित टिप्पणियां करते हुए गुस्सा जताया। जो लोग नीना दावुलूरी के खिताब जीतने की नस्ल के आधार पर बुराई कर रहे हैं उन्हें प्रतियोगिता के जजों के फैसले पर भी शक है। हालांकि मिस अमेरिका प्रतियोगिता के जजों ने खुलकर यह कहा है कि उन्होंने नीना दावुलूरी को उनकी विशेषताओं के कारण खिताब के लिए चुना है। इसके बावजूद नीना दावुलूरी के मिस अमेरिका के खिताब जीतने पर कुछ लोगों ने नस्ली टिप्पणियां जारी की हैं। कुछ लोगों ने नीना दावुलूरी द्वारा प्रतियोगिता के दौरान बॉलीवुड का डांस करने पर भी नाराजगी जताई। नीना दावुलूरी के माता-पिता मूल रूप से भारत में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा जिले के रहने वाले हैं और कई दशक पहले यह परिवार अमेरिका में आकर बस गया था। जनगणना ब्यूरो के 2010 केआंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में अब करीब 32 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं। उनमें से बड़ी संख्या में पेशेवर मेडिकल डॉक्टर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, वकील, प्रोफेसर और कंपनियों के मालिक हैं। इस प्रकार नीना दावुलूरी को निशाना बनाए जाने से बहुत से भारतीय और दक्षिण एशियाई मूल के लोग भी नाराज हैं। इसके अलावा जहां एक ओर कुछ अमेरिकी नस्ली टिप्पणियां कर रहे हैं तो बहुत से अमेरिकी नीना दावुलूरी की जीत पर खुश हैं और नस्ली टिप्पणियां करने वालों की निंदा भी कर रहे हैं। वैसे मिस अमेरिका ने तो पहले ही कह दिया है कि वह नस्ली टिप्पणियों पर तवज्जो नहीं देतीं। नीना दावुलूरी का कहना है कि मुझे इन सब बातों से ऊपर उठकर देखना है। हर चीज से ऊपर मैंने हमेशा खुद को एक अमेरिकी माना है। नीना ने अमेरिका की नई नस्ल को संदेश के बारे में कहा कि मैं खुश हूं कि 'मिस अमेरिका' संस्था ने देश में विविधता को भी महत्व दिया है। अब अमेरिका में जो बच्चे घरों में टीवी पर प्रतियोगिता देख रहे हैं, वह एक नई 'मिस अमेरिका' को भी देख सकते हैं। अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य के सेराक्यूज शहर में रहने वाली नीना हमेशा अच्छी छात्रा रही हैं और वह डॉक्टर बनना चाहती हैं। उनके पिता चौधरी धन दावुलूरी भी शहर के संत जोजफ असपताल में डॉक्टर हैं। इस खिताब के साथ उन्हें 50 हजार अमेरिकी डॉलर की स्कॉलरशिप मिली है, जिसे वो अपनी पढ़ाई पर खर्च करेंगी। मिस अमेरिका प्रतियोगिता में कुल 53 प्रतिभागी थे। इनमें से अमेरिका के हर राज्य की एक प्रतिभागी थी। इसके अलावा एक वाशिंगटन डीसी, पोर्तो रिको और यूएस वर्जिन आइलैंड से भी प्रतिभागी थीं। प्रतियोगिता में स्विम सूट, ईवनिंग गाउन, टैलेंट और इंटरव्यू जैसे कई राउंड्स थे। भारतीय मूल की नीना नेमिस ने जैसे ही मिस अमेरिका 2014 का खिताब जीतकर इतिहास रचा और दूसरी तरफ उन पर नस्लीय कॉमेंट शुरू हो गए। उनको विजेता घोषित करने के साथ ही अमेरिका में सोशल मीडिया पर जमकर नस्लीय टिप्पणियांकी जा रही हैं। लोगों ने 'अरब ने जीता मिस अमेरिका का ताज' और 'क्या हम 9/11 भूल गए हैं', जैसे कॉमेंट पोस्ट किए हैं। किसी ने उन्हें मिस टेररिस्ट कहा, तो किसी ने उन्हें मिस अलकायदा ही करार दिया। ट्विटर पर लोगों ने लिखा, 'कैसे कोई विदेशी मिस अमेरिका बन सकती हैं।' नीना के रंग को लेकर भी घटिया टिप्पणी की गई है। कई लोगों ने उन्हें मोटी तो कई न उन्हें विदेशी तक कह डाला। कई लोगों ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति ओबामा को खुश करने के लिए उन्हें मिस अमेरिका बनाया गया है। हालांकि, नीना के खिलाफ सोशल साइट्स पर चलाए जा रहे इस हेट कैंपेन का भारतीयों ने भी जवाब दिया है। एक भारतीय ने ट्वीट किया है, 'डियर अमेरिका, अगर आप नस्लवादी होना चाहते हैं तो आपको कोई नहीं रोक रहा है, लेकिन पहले भूगोल का अपना ज्ञान तो सुधारिए।' वैसे, तथ्य यह है कि 53 अमेरिकी सुंदरियों को पछाड़कर मिस अमेरिका का ताज पहनने वाली नीना पूरी तरह से अमेरिकी हैं। उनके पिता दावुलूरी चौधरी ने अमेरिका में उच्च शिक्षा हासिल की और स्त्री रोग विशेषज्ञ के तौर पर वहां बस गए। नीना का जन्म सिराकुसे, न्यूयॉर्क में हुआ, लेकिन चार वर्ष की उम्र में वह ओकलाहोमा और फिर 10 वर्ष की उम्र में मिशीगन रहने चली गर्इं। उन्होंने मिशीगन विश्वविद्यालय से विज्ञान की पढ़ाई की और अब वह अपने पिता की तरह डॉक्टर बनना चाहती हैं। नीना इस पूरे विवाद को तूल नहीं देना चाहतीं। उन्होंने कहा, 'मुझे इस बात की खुशी है कि मंच पर विविधता को स्वीकार किया गया। हाल के सालों में मुझे अपनी संस्कृति को लेकर गलत धारणाओं का सामना करना पड़ा है। लोग पूछते हैं कि क्या मेरे मां-बाप मेरी शादी का फैसला करेंगे, जैसा कि आमतौर पर भारतीय संस्कृति में होता है।' उन्होंने कहा, 'पहली भारतीय-अमेरिकी के तौर पर मिस अमेरिका बनने पर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूं।'नीना की जीत भारतीय अमेरिकियों के लिए ठीक वैसी ही है, जैसी यहूदी समुदाय के लिए बेस मेरसन की जीत थी। मेरसन वर्ष 1945 में मिस अमेरिका का खिताब जीतने वाली यहूदी समुदाय की पहली महिला थीं। एक सासंद ने कहा कि नीना की जीत सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि अमेरिका में रहने वाले पूरे भारतीय समुदाय के लिए गौरव की बात है।

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