Friday, August 26, 2011

'इन्फोसिस' से नारायणमूर्ति का जाना...

इन्फोसिस बड़ी हो गई है, पूरे तीस साल की। लेकिन इस समय वैसे ही दुखी है जैसे पिता के घर से विदाई के वक्त बेटी होती है। बेशक यह उलटबांसी है, यहां विदाई पिता की हुई है। करीब 31 वर्ष पहले महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक छोटे से कमरे से शुरू की गई कंपनी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की दिग्गज सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी के रूप में स्थापित करने वाले एनआर नारायण मूर्ति 21 अगस्त, 2011 को अध्यक्ष के पद से सेवामुक्त हो गए। इन्फोसिस को दुनिया की एक प्रतिष्ठित आईटी कंपनी का रुतबा दिलाने के लिए मूर्ति ने करीब 30 वर्ष तक उसे अपनी अमूल्य सेवा दी। सूचना प्रौद्योगिकी की दुनिया में यह एक मिसाल है। जून में 30वीं सालाना बैठक में इन्फोसिस टेक्नोलॉजीज़ के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति बतौर अध्यक्ष आखिरी बार शामिल हुए। माहौल गमगीन था, वह इतने भावुक हुए कि आंसू बहने लगे। बोले, ऐसा लग रहा है जैसे विवाह के बाद बेटी अभिभावक का घर छोड़कर जा रही है। हालांकि जब (बेटी को) जरूरत होगी, मैं हाजिर हो जाऊंगा। इस मंच को अंतिम बार संबोधित करना मेरे लिए आसान नहीं है। मेरे दिमाग में कई छवियां कौंध रही हैं, उनकी सूची अंतहीन है। इन तीस सालों में मैं किए गए अच्छे-बुरे सभी फैसलों का जिम्मेदार हूं। उम्मीद है कि और अच्छे दिन आएंगे। मैंने इसकी हर उपलब्धि का आनंद उठाया है और कंपनी के गलत निर्णयों पर सहानुभूति भी देता रहा हूं।
नारायणमूर्ति की लीडरशिप में इन्फोसिस देश की दूसरी बड़ी साफ्टवेयर निर्यातक कंपनी बनी। करीब साढ़े चार बिलियन डॉलर आकार वाली इस कंपनी में कर्मचारियों की संख्या एक लाख पार कर चुकी है। सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं और समाधान इसका मुख्य व्यवसाय है। भारतीय कंपनियों को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से झटके शुरू होने के बाद माना जा रहा था कि इन्फोसिस जैसी कंपनियों के लिए बाजार थोड़ी मुश्किलों से भरने वाला है। संकट में फंसे यूरोप के असर, मुद्रा में अस्थिरता, कर्ज के बढ़ते भार और कीमतों पर दबाव के कारण दिग्गज सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इन्फोसिस टेक्नोलॉजिज का संचयी शुद्घ लाभ उम्मीद से कम रहा। 30 जून को समाप्त हुई तिमाही में 1,488 करोड़ रुपये का शुद्घ लाभ हुआ, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 2.4 फीसदी कम है। जबकि तिमाही दर तिमाही आधार पर शुद्घ लाभ में 7 फीसदी की कमी आई। मार्च को समाप्त हुई तिमाही में कंपनी का शुद्घ लाभ 1,600 करोड़ रुपये था। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले इस तिमाही में कंपनी का राजस्व 13.3 फीसदी बढ़कर 6,198 करोड़ रुपये हो गया, जबकि तिमाही आधार पर इसमें 4.3 फीसदी की मामूली वृद्घि दर्ज की गई। हालांकि इस दौरान प्रत्येक शेयर से होने वाली कंपनी की कमाई में सालाना आधार पर 2.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
शुभचिंतकों की ओर से नारायणमूर्ति को विदाई का फैसला कुछ दिन टालने की सलाह दी गईं। सत्यम का सत्यानाश होने के बाद बेहतर लाभ उठाने के मौके अभी खत्म नहीं हुए थे। बेशक, अधिग्रहण करने वाली कंपनी ने स्थितियां संभाली हैं लेकिन पहले से स्थापित कंपनियों के लिए अपना कारोबार बढ़ाने के यह अवसर दुर्लभतम श्रेणी के हैं। नारायणमूर्ति में दम था इसलिये उन पर भरोसा जताया गया था। भावी अध्यक्ष केवी कामथ की क्षमताओं पर हालांकि किसी को संदेह नहीं था लेकिन कंपनी चूंकि अपने फाउंडर प्रेसीडेंट का आसरा तलाशती नजर आती थी इसलिये कामथ पर अविश्वास जाहिर किए गए। कामथ इससे पहले देश के सबसे बड़े निजी बैंक आईसीआईसीआई में एक शीर्ष पद कार्यरत थे। वर्ष २००८ में आई आर्थिक मंदी के बाद आईसीआईसीआई बैंक की विदेशों में बिजनेस की नीति को लेकर सवाल भी उठे, लेकिन कामथ ने अपनी सूझ-बूझ से बैंक को इस संकट से उबार लिया।
इन्फोसिस के साथ भी कामथ का साथ नया नहीं है। वे पहले से ही स्वतंत्र डायरेक्टर के रूप में इससे जुड़े रहे हैं। संकेत मिलने लगे हैं, हाल ही में बड़ी संख्या में भर्तियों की घोषणा करने वाली इस कंपनी को उसके नायब छोड़कर जा रहे हैं। अपने फैसलों से चर्चा बटोरने वाले मोहनदास पई चले गए। के. दिनेश सेवानिवृत्त हो गए। दिनेश कंपनी के संस्थापक सात सदस्यों में से एक थे। और अब, रिसर्च हेड सुभाष धर ने विदाई का रास्ता पकड़ लिया। वह कंपनी में इतने महत्वपूर्ण थे, कि खुद नारायणमूर्ति ने उन्हें कंपनी का सीनियर वाइस प्रेसीडेंट, नव प्रवर्तन का कारपोरेट हेड और ब्रिकी-विपणन प्रमुख का काम सौंप था। इसके साथ ही वह कंपनी की एग्जीक्यूटिव कमेटी के मेंबर भी थे। निश्चित रूप से यह चिंता की बात है। इन्फोसिस के तीन दशक के इतिहास में कामथ ऐसे पहले व्यक्ति हैं, जो संस्थापक सदस्य न होते हुए भी कंपनी के चेयरमैन बनाए गए। अब तक इन्फोसिस में इसके संस्थापक सदस्यों को ही इस पद पर बैठाया जाता रहा है। उनके सामने कई सारी चुनौतियां भी आने वाली हैं। एक तरफ जहां उन्हे कंपनी के पुराने लोगों का मनोबल बढ़ाना होगा, वहीं दूसरी तरफ कुछ गैर अनुभवी लोगों के साथ ही उन्हें काम करना होगा। हालांकि उन्हें जानने वाले कहते हैं कि कामथ हमेशा दूसरे लोगों को जगह देने में विश्वास करते हैं जिसके कारण लोग उन्हें बहुत जल्दी पसंद करने लगते हैं। जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में इन्फोसिस लीक से हटकर कुछ नया कर सकती है। यह अपने खर्च को बढ़ा सकती है, विदेशों में अधिग्रहण कर सकती है और एक मजबूत अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड बनने की राह पर चल सकती है। फिलहाल इन्फोसिस के पास 550 ग्राहक हैं और इस सूची में एबीएन एमरो, गोल्डमन सैक्स, टेलस्ट्रा और ब्रिटिश पेट्रोलियम जैसी कंपनियां शामिल हैं। ईश्वर करे, ऐसा ही हो क्योंकि इन्फोसिस हम सभी के लिए गौरव की बात है।

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