Monday, July 16, 2012
क्रिकेट की बहाली से उम्मीदें
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट के सम्बन्ध फिर पटरी पर आ रहे हैं। दोनों देशों की क्रिकेट टीमें अगले साल आमने-सामने होंगी। यह सीमाओं से परे क्रिकेट के करोड़ों दीवानों के लिए अच्छी खबर है, हालांकि क्रिकेट को दोनों देशों के बीच दोस्ती का जरिया बनाने की हिमायत करने वालों की संख्या भी अच्छी-खासी है। नवम्बर 2008 में मुम्बई हमले के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में आए तनाव के कारण उनके बीच क्रिकेट संबध भी लगभग खत्म हो गए थे। बेशक, पाकिस्तान में शांति हमारे देश की सेहत के लिए भी अच्छी है और द्विपक्षीय दोस्ताना रिश्तों की हिमायत हर आम पाकिस्तान या हिंदुस्तान करता है। लेकिन सवाल यह है कि यह स्थायी मित्रता किस प्रकार कायम हो। दोनों देशों के बीच सरहदें खोल दिए जाने का क्रम जारी है। आज जो नियंत्रण रेखा है, उसे दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा मान लिया जाए, यह सुझाव बारम्बार सामने आता है। व्यापार, क्रिकेट और फिल्मों के आदान-प्रदान जारी हैं। सैकड़ों पाकिस्तानी और भारतीय सीमा पार कर एक देश से दूसरे देश में आ-जा रहे हैं। सरकारी प्रतिनिधिमंडलों के दौरे जारी हैं, लेकिन कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में जब कुछ बात बनी थी तो पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों ने भारतीय संसद पर हमला कर दिया। नतीजा यह हुआ कि दोनों देशों के सम्बन्ध बिगड़ गए। फिर वही स्थिति हो गई, जो 1997 के पूर्व थी। डा. मनमोहन सिंह की सरकार ने भी वाजपेयी की नीति को जारी रखा। मौजूदा क्रिकेट कूटनीति की चर्चा में विश्लेषकों का मानना है कि मैत्रीपूर्ण वातावरण तैयार करने का उद्देश्य वास्तविक महत्व से कहीं बड़ा है। हाल ही में दोनों देशों ने नए सिरे से वातार्लाप की पूरी प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है, आतंकी अबू जिंदाल के प्रकरण से थोड़ा तनाव आया है लेकिन कुल-मिलाकर वर्तमान में दोनों देशों का संबंध शांति के दौर में हैं। इसलिये लोगों का विचार है कि भारत-पाक नेताओं के बीच मुलाकात, वार्ता के विषय से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह इस बात का द्योतक है कि दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय वार्ता विधिवत बहाल हो गयी है और दोनों देशों के नेताओं की एक-दूसरे के यहां न आने की स्थिति समाप्त हो रही है। मार्च महीने में तत्कालीन पाक प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने यात्राओं का रुका क्रम शुरू किया है। हालांकि विश्लेषकों का एक वर्ग यह भी कहता रहा है कि क्रिकेट ने मैत्रीपूर्ण वातावरण तैयार करने में भूमिका निभायी है, पर भारत-पाक गतिरोध का सच्चा समाधान समान लक्ष्य के आधार पर दोनों के अथक प्रयासों पर निर्भर करता है। दोनों देश बेकाबू फौजी टक्करों को सहने में असमर्थ हैं, और तो और लम्बे अरसे की दुश्मनी से दोनों देशों के अर्थतंत्र को भारी नुकसान पहुंचा है। यह देखना भी जरूरी है कि भारत-पाक के बीच कटुता दसियों सालों से चली आ रही है, यह दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक शिकायत, राजनीतिक एवं धार्मिक दुश्मनी और वास्तविक हितों के अंतर्विरोध से जुड़ी हुई है। ऐसे में मात्र क्रिकेट सम्बन्ध बहाली से ज्यादा उम्मीदें करना बेमानी सिद्ध हो सकता है।
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