प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार आकार ले चुकी है लेकिन जैसा तय था,
हुआ वैसा ही। भविष्य के प्रति आश्वस्तता के अभाव में शुरू से ही जातिगत
समीकरण साधने की जुगत लगाई गई है। एक भी मंत्री ऐसा नहीं जो समीकरण में सेट
न होता हो। लगता है जैसे सरकार कभी भी मध्यावधि चुनाव की आशंका के लिए
तैयार हो रही है।
बिहार-झारखंड में दलित-महादलितों की बड़ी संख्या है इसलिये एक सांसद वाले
जीतन राम मांझी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
बिहार-झारखंड
में दलित-महादलितों की बड़ी संख्या है इसलिये एक सांसद वाले जीतन राम
मांझी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। यही लाभ हीरो बनकर उभरे पासवान जाति
के चिराग को मिला है। गिरिराज सिंह और राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को
भूमिहार, राजभूषण चौधरी निषाद निषाद, रामनाथ ठाकुर नाई ठाकुर, नित्यानंद
राय और अन्नपूर्णा देवी यादव, सतीश दुबे ब्राह्मण होने के नाते स्थान पाने
में कामयाब रहे हैं। यही जातियां बिहार के जाति सूत्र सम्हालती हैं। झारखंड
में वहां के स्थानीय नेतृत्व पर भरोसा जताया गया है और जाति समीकरणों से
इतर संजय सेठ राज्यमंत्री बने हैं। संकेत हैं कि वहां पार्टी किसी बड़ी
तैयारी में हैं, तभी स्थान रिक्त रहे हैं।
गुजरात
को पांच स्थान मिले हैं, माना जा रहा है कि पार्टी संतुष्ट है कि वहां के
समीकरण मोदी-अमित शाह की जोड़ी सम्हाल सकती है। बुरी तरह निराश करने वाले
पश्चिम बंगाल के दो मंत्री हैं, सिर्फ शांतनु ठाकुर हैं जो विशाल मतुआ
समुदाय को साधने के लिए आए हैं। ओडिशा में चूंकि सत्ता आई है इसलिये राज्य
में समायोजन के लिए तीन पद दिए गए हैं। राज्य के चुनावों में जीत का इनाम
धर्मेंद्र प्रधान, जोएल ओरांव अश्विनी वैष्णव को मिला है।
इसी
तरह पूर्वोत्तर में सर्बानंद सोनोवाल और किरेन रिजीजू उपकृत किए गए हैं।
सीटें न देकर भी सबसे बड़ी उम्मीद पंजाब ने बंधाई हैं, वहां भाजपा को वोट
प्रतिशत दोगुने से ज्यादा बढ़ा है। और, इसीलिये पूर्व सीएम बेअंत सिंह के
हारे हुए पौत्र रनवीत सिंह बिट्टू पर पार्टी ने दांव खेला है। जेल में बंद आतंकी अमृतपाल सिंह पंजाब में जीता है, आतंकवाद का साया फिर मंडरा रहा है, इसलिये शहीद बेअंत सिंह के परिजन को आगे बढ़ाना भाजपा के लिए दूर की कौड़ी ही नहीं बल्कि राष्ट्रवाद का संदेश भी है। भाजपा इसके जरिये सकारात्मक संदेश देना चाहती है। हरदीप सिंह
पुरी को भी इसीलिये दोबारा जगह मिली है। निराश करने वाले राजस्थान से
भूपेंद्र यादव, गजेंद्र सिंह शेखावत पर भरोसा जताया गया है, आने वाले समय
में पार्टी वहां दलबदल कराती दिखे तो बड़ी बात मत समझिएगा। महाराष्ट्र में
पत्ते अभी खुले नहीं हैं, वहां भी पार्टी किसी खेल के इंतजार में है, जिसका
नतीजा राज्य की सत्ता में परिवर्तन भी हो सकता है।