Sunday, May 20, 2012
'आजकल बस गम है, बाबा की यादें हैं'
लाखों भक्तों के सब-कुछ बाबा जयगुरुदेव आज (21 मई को) समाधिस्थ हो गए। उनके मथुरा स्थित नाम योग साधना मंदिर पर श्रद्धा का समुद्र बह रहा है। बेसुध भक्तों का रेला उमड़ रहा है। हर प्रांत के भक्त हैं। दिल्ली हाईवे पर बार-बार जाम लग रहा है। आश्रम के कार्यकर्ता गमगीन हैं लेकिन फर्ज नहीं भूल रहे और रात हो या दिन, अपने दम पर यातायात संचालन में जुटे हैं। मन स्तब्ध है, बेचैन है पर भक्ति अनुशासन की डोर में बंधी है। बाबा के आश्रम के पास करीब साढ़े आठ हजार एकड़ जमीन है, जिसमें चार हजार एकड़ तो तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार से लीज पर मिली थी। नाम योग साधना मंदिर पर माहौल पहले जैसा नहीं। मथुरा-दिल्ली हाइवे से गुजरते सैकड़ों देशी-विदेशी मेहमान इस भव्य मंदिर को देखने पहुंचते हैं पर यह रोजाना की बात है। आजकल बस गम है, बाबा की यादें हैं। हाईवे के आसपास और सामने मैदान के पीछे बसों की लाइनें लगी हैं। भक्त दरी बिछाकर बैठे हैं, इंतजार कर रहे हैं कि कब उनका नंबर आए। खान-पान के दर्जनों स्टाल लगे हैं। लाखों भक्तों का इंतजाम मिनटों में हो जा रहा है। भीषण गर्मी में गला तर करने के लिए पानी के पाउचों की भी जमकर बिक्री हो रही है। मंदिर से कुछ दूर बाबा के नाम पर पेट्रोल पंप है। बसों-कारों में ईंधन इसी पंप से भरवाया जा रहा है पर यहां भी वाहनों की बेहद अनुशासित लाइनें लगी हैं। बसों के रजिस्ट्रेशन नंबर बता रहे हैं कि भक्तगण अलग-अलग राज्यों से हैं। बिहार के दरभंगा से आए विश्वनाथ तिवारी रुंधे गले से कहते हैं, बाबा अब भी हमारे बीच हैं। वह हमें छोड़कर कहीं नहीं जा सकते। उनकी कृपा के बिना तो हमारा जीवन ही संभव नहीं। 23 वर्षीय संध्या श्रीवास्तव काशी हिंदू विश्वविद्यालय की छात्रा हैं। संध्या के गले में बाबा की फोटो वाला लॉकेट है। यह पूछने पर कि बाबा बिना कैसा लग रहा है, वह रो पड़ती है। शब्द निकलते हैं- बाबा हैं, यहां मेरे दिल में हैं। मेरे दिमाग में हैं। हमारा लाखों भक्तों का परिवार बाबा की कृपा पर जिंदा है। मंदिर के भीतर प्रवेश कर रहे 83 वर्ष के आनंद स्वरूप बलिया से हैं। श्रद्धा का यह सैलाब आगरा और दिल्ली दोनों ओर से आने पर मथुरा की सीमाओं में प्रवेश करते ही शुरू हो जाता है। आश्रम में प्रवेश करने पर बाबा के कहे शब्द गुंजायमान हो रहे हैं। श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय भी बाबा के प्रवचन हैं। जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था के प्रबंधक सन्तराम चौधरी बताते हैं कि आध्यात्मिक सन्त बाबा जयगुरुदेव राजनीति का शुद्धिकरण चाहते थे। बाबा का मानना था कि यदि इसमें विलम्ब हुआ तो राजनीति का रूप इतना विकृत हो जाएगा कि उसे सम्भालना मुश्किल होगा। उनकी सोच थी कि भ्रष्टाचार दूर तभी हो सकता है जब इसे ऊपर से समाप्त किया जाए इसलिए वह संसद तथा विधानसभाओं में ऐसे आदमी भेजना चाहते थे जो बेदाग हों तथा जिन्हें पैसे का लालच ना हो। उन्होंने दिल्ली के बोट क्लब पर अपने अनुयायियों से टाट पहनने का आह्वान किया था। बाद में इसमें आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए यह निर्णय एक साल बाद वापस ले लिया गया। शुद्ध राजनीति के उद्देश्य से बाबा ने केवल दूरदर्शी पार्टी बनाई बल्कि उसके सदस्यों ने चुनाव भी लडा हालांकि कोई उम्मीदवार जीता नहीं। चौधरी के अनुसार, आश्रम परिसर स्थित गौशाला में 1982 में मात्र दो गाय बाबा लाए थे, कुछ दान में मिलीं और यह संख्या आज डेढ़ हजार तक पहुंच गई है। अहम है कि गौशाला से किसी बछड़े और सांड़ को बेचा नहीं गया। गौशाला में 80 सेवादार कार्यरत हैं। वर्ष 1973 में बाबा ने इस मंदिर की नींव रखी थी। विशाल मंदिर में संगमरमरी पत्थर व बेजोड़ नक्काशी का काम जारी है। मंदिर में वर्ष भर में तीन मेले लगते हैं। पहला पांच दिवसीय मेला मुड़िया पूर्णिमा और गुरुपूर्णिमा पर लगता है। इस दौरान जयगुरुदेव मंदिर में करीब 10 लाख अनुयायी बाबा के दर्शन को पहुंचते थे। पत्रकारों के समूह को कार्यकर्ता सदानंद बताते हैं कि यह अनुयायी यातायात के विभिन्न साधनों से पहुंचते हैं और घर से निकलने से पूर्व पूरी सूचना यहां देकर आते हैं। दूसरा पांच दिवसीय मेला नवंबर या दिसंबर में वार्षिक भंडारा उत्सव के रूप में लगता है। इस दौरान भी इतनी ही संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। तीसरा मेला होली के अवसर मुक्ति दिवस के रूप में लगता है। तीन दिन चलने वाले इस मेले में तीन-चार लाख अनुयायी मंदिर पहुंचते हैं।
विदेशी कारों के शौकीन थे बाबा
बाबा जयगुरुदेव के नाम योग साधना मंदिर परिसर में कारों का गैराज बना है, जहां वह कारें मौजूद हैं जिन्हें हम फिल्मों में देखा करते हैं। राजसी जीवन जीने वाले बाबा के जीने का जीने का शाही अंदाज था। बाबा को 1940 में देश में आई जर्मन निर्मित प्लेमाउथ से बेहद लगाव था। यह कार बाबा ने दादा गुरु घूरेलाल के लिए मंगाई थी। बीएमआर 101 नंबर की यह कार पहले बिहार के राज्यपाल के पास थी। इसके अलावा 30 फुट लंबी इग्लैंड निर्मित लिमोजिन कार भी है। लेफ्ट हैंड ड्राइव वाली यह शाही कार उस जमाने की प्रमुख शाही सवारी थी। कारों के काफिले में इंपाला, मित्सुबिसी, ओल्ड स्कोडा, मर्सीडीज बेंज के अलावा फिएट और टोयोटा की कारें शामिल हैं। जापान की होंडा कंपनी की चार सिलेंडर की 750 सीसी की सीबी 750 सी मॉडल की बाइक बाबा ने 1980 में 1.60 लाख रुपये में खरीदी थी। बाबा बाइक पर पीछे बैठकर कभी कभार सैर पर जाते थे।
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