Saturday, April 7, 2012
'ट्रेनिंग टूर' पर पाक के भावी पीएम
पाकिस्तानी पॉलीटिक्स का नया पन्ना इस बार वही दिल्ली लिखने को तैयार है जो इस मुल्क के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द साबित की जाती रही है। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के पुत्र बिलावल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सत्तारूढ़ गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी के पुत्र राहुल गांधी से मुलाकात करने जा रहे हैं। अपने-अपने देश में बिलावल और राहुल को भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखा जाता है। पिता के साथ भारत दौरा बिलावल की राजनीतिक पारी का रिहर्सल है। 24 वर्षीय बिलावल का नाम भारतीय प्रधानमंत्री आवास पर 8 अप्रैल को होने वाले भोज के अतिथियों की सूची में दर्ज है। उम्मीद जताई जा रही है कि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी भी उपस्थित रहेंगे और दोनों युवा नेता आपस में बातचीत करेंगे।
इस्लामाबाद और नई दिल्ली के बीच कटुता किस स्तर तक है, यह बताने की जरूरत नहीं। भारत में नई दिल्ली स्थित 10, जनपथ और पाकिस्तान के इस्लामाबाद में राष्ट्रपति भवन सत्ता के केंद्र हैं। दस जनपथ भारत में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की प्रमुख पार्टी कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी का आवास है तो पाक राष्ट्रपति भवन जरदारी का। सोनिया और जरदारी दोनों ने ही अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी तय कर लिये हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि राहुल सक्रिय राजनीति करने लगे हैं और बिलावल नाममात्र के लिए सत्तारूढ़ पाकिस्तानी पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष हैं। आक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के रंगीन मिजाज छात्र रह चुके बिलावल की पाकिस्तानी सियासत में सक्रियता बढ़ रही है। राजनयिक प्रेक्षकों के मुताबिक, बिलावल को 2013 के संसदीय चुनाव के लिए तैयार किया जा रहा है। बेनजीर और उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के नाम को भुनाने के लिए पार्टी बिलावल को राजनीतिक मोर्चे पर लाने की योजना को अंजाम दे रही है। बेनजीर की हत्या के बाद बिलावल को 30 दिसंबर 2007 को पीपीपी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। पिछले वर्ष से बिलावल पाकिस्तान की राजनीति में सक्रिय हैं। पिछले दिनों राष्ट्रपति जरदारी के अस्पताल में भर्ती होने के साथ ही बिलावल को पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी पीपीपी की ओर से अहम बैठकों में बुलाया जाना इस बात का संकेत है कि बिलावल को प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी के भावी प्रत्याशी के तौर पर तैयार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री गिलानी कह ही चुके हैं कि बिलावल पाक के प्रधानमंत्री भी बन सकते हैं।
प्रधानमंत्री गिलानी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की संसदीय समिति के चेयरमैन रजा रब्बानी जिस तरह से उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा हालात से अवगत करा रहे हैं, उससे पार्टी की इस रणनीति की पुष्टि हुई है। जरदारी के कार्यालय में बिलावल का एक दफ्तर जल्द खुलने की चचार्एं सियासी गलियारों में तेजी से चल रही हैं। हालांकि बिलावल सितंबर 2013 में 25 साल की उम्र हासिल करने के बाद ही पाकिस्तानी असेंबली के लिए चुनाव लड़ सकेंगे, इसलिए तब तक उनके प्रधानमंत्री बनने का सवाल नहीं उठता। पाकिस्तानी असेंबली के चुनाव 2013 में ही तय हैं, माना जा रहा है कि तब तक बिलावल को पीएम के प्रत्याशी के तौर पर एक पूर्ण राजनेता के रूप में ढाला जा सकेगा। सेना की ओर से पूर्व क्रिकेटर और तहरीक- ए -इंसाफ पार्टी के नेता इमरान खान को कठपुतली प्रधानमंत्री के तौर पर आगे बढ़ाने की कोशिशों के बाद बिलावल को एक आपात योजना के तहत आगे लाया गया। इमरान पाक में तालिबान खान के नाम से जाने जाते हैं और तालिबान के प्रति उनकी सहानुभूति जगजाहिर है। चूंकि उनकी छवि एक ईमानदार हस्ती की है इसलिए जनरल कयानी उनकी पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ाकर परदे के पीछे से पाक राजनीति पर अपना प्रभुत्व बनाए रखने की चाल चल रहे हैं। बिलावल के समक्ष चुनौतियां भी कम नहीं। उन्हें खुद को जिम्मेदार और परंपराओं के साथ आधुनिक विचारों वाला साबित करना है हालांकि उन्होंने पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शाहबाज भट्टी की हत्या की निंदा कर ऐसा करने की कोशिश की भी है।
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