कहानी आगरा के एक लड़के की है, उस पुलिसवाले की जिससे मुंबई के माफिया भी थर-थर कांपते थे। चाल मायानगरी में चलता तो धमक दुबई में अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहीम तक पहुंचती। यहां कामयाबी की खुशी होती तो वहां साथी के मारे जाने का गम। लड़का लंबे डग भर रहा था। कहानी दिलचस्प है, छोरे ने मुंबई में राज किया जो सपना होता है किसी के भी लिये। इतना लोकप्रिय हो गया कि बच्चे बड़ा होकर उस जैसा बनने के सपने देखने लगे। मुंबई में उसके फोटो और कारनामे छपने का रेकार्ड रच गया। प्रदीप शर्मा नाम है आगरे के इस छोरे का। मुंबई में पैदा हुआ और 1984 में वहां की पुलिस में सब इंस्पेक्टर के रूप में भर्ती हुए प्रदीप ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक विवादों में फंसे थे, अखबार लगातार निगेटिव लिख रहे थे। तब इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा, मुंबई में आतंक का राज खत्म नहीं होता यदि दया नायक और प्रदीप न होते। प्रदीप ने एनकाउंटर में दया नायक को पीछे छोड़ रखा था। पत्रकार जे डे की हत्या के बाद अकूत कमाई और फर्जी एनकाउंटर के आरोपों पर जेल में बंद प्रदीप जैसे पुलिसवाले फिर चर्चा में हैं। एक असिस्टेंट कमिश्नर आफ पुलिस अनिल महाबोले से तो पूछताछ भी की गई है।
बात उस समय की है जब प्रदीप का नाम खासी चर्चा में था। प्रदीप से मेरी मुलाकात आगरा के नेहरू नगर स्थित एक आफिस में हुई। आगरा से जुड़े होने के कारण प्रदीप अक्सर आया करते थे। उनके कई मित्र थे यहां। यह आफिस दैनिक जागरण में मेरे सिटी चीफ आनंद शर्मा के मित्र का था। अचानक मेरे पास फोन आया, बताया गया कि प्रदीप कुछ देर के लिए आगरा में हैं। उनसे बात कर लो। किसी अन्य अखबार को पता नहीं है, एक्सक्लूसिव स्टोरी बनेगी। मैंने ख्याति सुनी थी। दो-तीन दिन पहले ही प्रदीप के बारे में पढ़ा था। स्टोरी इंडियन एक्सप्रेस में ही थी। प्रदीप ने मुंबई में कोलाबा की गली में एक दुर्दांत अपराधी को मार गिराया था। उसी दिन शाम को वह आगरा के लिए चले थे। मेरे लिए यह मौका था, सो बिना समय गंवाए पहुंच गया। प्रदीप के इर्द-गिर्द भीड़ थी, सादा वर्दी में सुरक्षा भी। वो गर्मजोशी से मिले। लगा ही नहीं कि यह अपराधियों के लिए टेरर का सबब है। हर सवाल का जवाब मिला। संजय दत्त के बारे में पूछा तो हंसकर बोले, अंदर कराओगे। पुलिसवाले भी नहीं बोलते संजू बाबा के बारे में। अकाट्य साक्ष्य हैं लेकिन उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता वरना संजय दत्त को फायदा पहुंचेगा। मैंने फिर पूछा तो एक साथी पुलिसवाला बोला, संजय दत्त को पूरी जिंदगी जेल की चक्की पीसेगा। राइफल उसकी थी, उसने न केवल अपने पास रखी बल्कि तमाम अन्य जानने वालों को भी दिलवाई थीं। प्रदीप ने चुप रहने को कहा। बातचीत निजी जिंदगी पर पुलिसिया जीवन के असर पर चल निकली। प्रदीप का कहना था कि कई-कई दिन बीवी-बच्चों से मुलाकात नहीं हो पाती। मुंबई में घर होने के बावजूद चौदह दिन तक लगातार होटल का खाना खा चुका हूं। घर आने पर पत्नी स्वागत के बजाए फिर जाने की तैयारी शुरू कर देती है। आगरा उन्हें खासा पसंद है, चाहत है रिटायरमेंट के बाद बचा जीवन आगरा में मदिया कटरा स्थित घर में काटना। पहले एनकाउंटर के अनुभव पूछने पर प्रदीप ने कहा, लगा जैसे हमने कोई बड़ा काम किया है। सामने अपराधी की लाश पड़ी थी। यह वही अपराधी था जो बंबई पुलिस का अरसे से सिरदर्द बना हुआ था। एसीपी ने शाबासी दी तो सीना गर्व से फूल गया। वहीं से मैंने सोचा कि अपराध के खात्मे के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ूंगा। इसके बाद मैं कभी डरा नहीं। भगवान ने हर बार अकूत साहस प्रदान किया।
सलमान का जलवा भी फीका था सामने
प्रदीप शर्मा के बातचीत के दौरान एक सिपाही ने बॉलीवुड सरताज सलमान खान का नाम ले लिया। बोला कि साहब (प्रदीप शर्मा) के सामने तो सलमान भी ढक्कन है। एक फिल्म की शूटिंग के दौरान प्रदीप पहुंच गए तो मिलने आए सलमान कुर्सी लेकर बैठने लगे। इससे खफा प्रदीप ने कुर्सी को लात मारकर गिरा दिया और सलमान से खड़े होकर बात करने को कहा। इसी दौरान पता चला कि प्रदीप की जबर्दस्त सुरक्षा की जाती थी। मुंबई के पुलिस कमिश्नर के समान उनके काफिले में कई गाड़ियां चला करती थीं। वह किसने बैठे हैं, यह सिर्फ कुछ लोगों को पता होता था जो उनके खास होते थे।
बर्खास्त प्रदीप जेल में हैं
महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे रामदास कदम ने एक बार यह मुद्दा उठाकर सबको चौंका दिया था कि प्रदीप शर्मा के पास तीन हजार करोड़ की संपत्ति है। ये संपत्तियां शॉपिंग मॉल, बीयर बार, भवन निर्माण जैसे रूपों में है। शर्मा पर यह आरोप था कि वह पहले माफिया छोटा राजन के लिए काम करते थे। 114 एनकाउंटर करने वाले प्रदीप इस समय फर्जी एनकाउंटर के मामले में बर्खास्त होकर जेल में हैं।
1 comment:
ह्रदय को झकझोरने वाला लेख है.. शुरुआ़त बेहद रोचक है लेकिन अंत नायक की भूमिका से न्याय करता नहीं दिखता! ऐसा लगता है जैसे एक लेखक पर बाद में पत्रकार हावी हो गया हो :-) फिर भी शानदार लेख और उम्दा जानकारी के लिए आपका आभार..
हो सके तो लगातार लिखते रहिये..
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