भाजपा नेता नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार जैसे अन्याय के पुराने दौर के साथ ही जैसे विपक्ष को चारों खाने चित्त करने का मोर्चा खोले हुए है। कुछ दिन पहले बिहार से शुरुआत हुई। जन जन के नेता, स्वच्छ छवि के प्रतीक कर्पूरी ठाकुर को शीर्ष सम्मान देने की घोषणा हुई। ठाकुर बिहार से थे। लेकिन वार लगा वहां की सरकार पर। जिस नेता के लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार जैसे शिष्य हों, उसे अचानक सम्मानित किए जाने की खबर से जैसे तूफान ला दिया। लालू की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के तो काटो खून नहीं। नीतीश कुमार तो पाला बदलने के मौके के इंतजार में थे ही, उन्होंने तत्काल स्वागत किया। नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के साथ ही राष्ट्रीय जनता दल की सरकार औंधे मुंह आ गिरी। भाजपा विजेता, उसकी सरकार बन गई। यह बड़ा झटका था क्योंकि नीतीश विपक्षी इंडी गठबंधन की धुरी थे। धुरी ही घूम कर भाजपा के पाले में आ गिरी। बिहार में समीकरण बदल चुके हैं। एक तरफ विवादों, ईडी जैसी समस्याओं से घिरी राष्ट्रीय जनता दल अकेला मैदान में उतरने से डर रहा है, दूसरी ओर भाजपा के साथ राज्य के ज्यादातर दल खड़े हैं।
इंडी गठबंधन अभी सदमे से उबरा भी नहीं था, कि कल एक और वज्रपात हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न प्रदान करने की सूचना सार्वजनिक की। चौधरी साहब का अलग ही रंग है। उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में वो जाटों के साथ ही किसानों के नायक हैं। उन जैसा नेता किसानों को कोई मिला ही नहीं। और किसानों-जाटों के इस वोट बैंक की बदौलत कोई भी सियासी दल उत्तर प्रदेश के साथ ही हरियाणा में भी अच्छा कमाल दिखा सकता है। और यही हुआ। कमाल ही हुआ, घोषणा के कुछ ही देर बाद चौधरी साहब के प्रपौत्र और राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी की प्रतिक्रिया आ गई। जयंत भी अब इंडी गठबंधन से बाहर होने की तैयारी में हैं, सबकुछ तय है, बस घोषणा बाकी है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में रालोद का असर काफी है। कई सीटें जाटों की अधिक संख्या होने की वजह से प्रभावित होती रही रही हैं। जयंत चौधरी एनडीए के साथ आ रहे हैं और इससे भाजपा न सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को साधेगी, बल्कि हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित उत्तर-मध्य भारत के अलग-अलग हिस्सों में बड़े किसान समुदायों और जाटों के दम और मजबूत होती नजर आएगी। जाटों की संख्या की वजह से उत्तर प्रदेश की 80 में से 27 सीटों पर असर संभावित है।
किसानों के ही एक और प्रिय एसएम स्वामीनाथन को भारत रत्न की घोषणा से भी भाजपा किसानों में पैंठ बढ़ाती दिखती है। हालांकि स्वामीनाथन का लाभ राजनीतिक कम, इस बात से ज्यादा है कि भाजपा को यह श्रेय मिल रहा है कि वह उपेक्षित शख्सियतों की सुधि लेती है। निशाना एक और भी साधा गया है। कांग्रेस के होने के बावजूद कांग्रेस से ही उपेक्षित दक्षिण भारतीय नेता पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने से भाजपा को यह आरोप असत्य साबित करने में मदद मिलेगी कि वह दक्षिण के साथ सौतेला व्यवहार करती है। इसी दांव से पिछले दिनों कर्नाटक के कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने दिल्ली में धरना देकर भाजपा का घेराव किया है। को दक्षिण भारत में कितना सियासी फायदा होगा, यह तो चुनाव परिणाम बताएंगे। लेकिन यह तय है कि जिस तरह से आर्थिक सुधारों के लिए नरसिम्हा राव ने देश के विकास में बड़ा योगदान दिया, आर्थिक सशक्तिकरण में उनका योगदान सर्वविदित है, कांग्रेस का दुर्भाग्य कि वह इसका श्रेय नहीं ले पाती। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भाजपा अपना विस्तार कर रही है, उसमें पीवी नरसिम्हा राव को दिए जाने वाले भारत रत्न की घोषणा से लाभ मिल सकता है। दोनों राज्यों में भाजपा राजनीतिक गठबंधन के लिए मशक्कत कर रही है।
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